रविवार, 14 जनवरी 2018

उतना ही कार्य करें जितनी क्षमता हो।

दुनिया में बहुत से लोग  ऐसे होते हैं जो अपनी क्षमता से ज्यादा  कार्य करते हैं। क्या ये लोग अपनी क्षमता से ज्यादा मेहनत करके सफलता प्राप्त कर लेते हैं ? बहुत से लोगों का जवाब होगा क्यों नहीं सफल होंगे ये लोग इतना कठिन परिश्रम जो करते हैं। लेकिन ये जवाब बिलकुल गलत है। मैं इस लेख में यह बताऊंगा कि यह जवाब गलत क्यों है और क्यों उतना ही कार्य करें जितनी क्षमता हो। 
आपने यह कहावत सुनी होगी कि जितना का मुर्गी नहीं उतना मसाला। अगर आप अपनी क्षमता से ज्यादा मेहनत करेंगे तो आपको जितना फायदा नहीं होगा उससे ज्यादा कहीं नुकसान हो जायेगा। मान लीजिये की आपकी कार्य करने की क्षमता 8 घंटे की है और अगर आप किसी परेशानी की वजह से 8 घंटे की जगह 12 घंटे कार्य करने लगे तो इससे आपको यह फायदा होगा की आप अपने कार्य को डेढ़ गुना ज्यादा करेंगे परन्तु अगर इसी कारण से आपका तबियत खराब हो जाये और डॉक्टर बोलें कि आपको दस दिन तक हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ेगा तब क्या होगा। तब तो आपको थोड़ा फायदा की जगह कई गुना नुकसान हो जायेगा। 
अगर आपकी क्षमता 50 किलोग्राम वजन उठाने की है और अगर आप 80 किलोग्राम वजन उठाएंगे तो क्या होगा। अगर आपकी आवाज तार सप्तक के ग तक जा रही है और आप प तक बोलेंगे तो क्या होगा। अगर अापने किसी से झगड़ा कर लिया और वो लोग दस लोग हैं और आप अकेले फिर भी उन लोगों से लड़ाई करेंगे तो क्या होगा। ऐसा बहुत से उदाहरण है जिससे आप समझ सकते हैं की क्षमता से ज्यादा कार्य करने से नुकसान ही होता है।
इसलिए अगर आप अपनी जिंदगी में कामयाब होना चाहते हैं तो सबसे पहले आप अपनी क्षमता को बढ़ाएं और कभी भी अपनी क्षमता से ज्यादा कार्य करने की कोशिश ना करें यानी की उतना ही कार्य करें जितनी क्षमता हो। 
कैसा लगा आप लोगों को यह लेख अपने कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं। 
                                                                                                                     धन्यवाद ...........

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