जिंदगी जीने का तरीका : जो व्यक्ति दूसरों की खुशी के लिए जिए वही जिंदगी सार्थक जिंदगी कहलाती है। अपने शरीर और दिमाग को जितनी आवश्यकता हो उतना ही आराम दें। आवश्यकता से ज्यादा शरीर और दिमाग को आराम देने से ये आलसी हो जाते हैं जिससे समय की बर्बादी होती है। जब समय एक बार चला जाता है तो वह लौटकर नहीं आता।
शनिवार, 23 सितंबर 2017
गुरुवार, 21 सितंबर 2017
अवचेतन मन क्या है । What is subconscious mind in hindi
अवचेतन मन की परिभाषा - मन की सुसुप्त अवस्था को अवचेतन मन कहते हैं।
चेतन मन क्या है । What is conscious mind in hindi
चेतन मन की परिभाषा - जब मन जागृत अवस्था में रहता है तो इसे चेतन मन कहते हैं।
बुधवार, 20 सितंबर 2017
मन क्या है । What is mind in hindi
मन की परिभाषा - मन मानव मष्तिष्क की ऐसी अदृश्य शक्ति या क्षमता है जिसके द्वारा मनुष्य सुख - दुःख का अनुभव व सोचने - समझने का कार्य करता है तथा किसी जानकारी या तथ्य का विवरण रखता है।
मंगलवार, 19 सितंबर 2017
अनुशासन क्या है । What is discipline in hindi
अनुशासन की परिभाषा - किसी व्यक्ति , संस्था या राष्ट्र के द्वारा अपने चरित्र के विकास के लिए बनाए गए नियमों को ही अनुशासन कहते हैं।
रविवार, 17 सितंबर 2017
आत्मविश्वास कैसे बढ़ाएं । How to increase confidence in hindi
आत्मविश्वास के बिना जिंदगी को कभी भी सफल व सुखी नहीं बनाया जा सकता है। अगर आपके दिमाग में भी यह बात चल रही है कि आत्मविश्वास कैसे बढ़ाएं तो इस लेख को शुरू से अंत तक जरूर पढ़ें। मुझे पूरा विश्वास है कि आपको यह लेख जरूर पसंद आएगी।
शुक्रवार, 15 सितंबर 2017
उतावला होना क्या है
उतावला होने की परिभाषा - जब व्यक्ति तीव्र गति से यह सोचने लगे कि कोई कार्य कब होगा या कोई चीज कब प्राप्त होगी तो इसे उतावला होना कहते हैं।
मोक्ष क्या है
मोक्ष की परिभाषा - सांसारिक वस्तु , सुख एवं बंधन से मुक्ति प्राप्त कर लेना ही मोक्ष कहलाता है।
अर्थ क्या है
अर्थ की परिभाषा - भौतिक सुख से सम्बंधित चीजों को प्राप्त करने के लिए जो कार्य किये जाते हैं , उसे ही अर्थ कहते हैं।
गुरुवार, 14 सितंबर 2017
बुधवार, 13 सितंबर 2017
पुरुषार्थ क्या है
पुरुषार्थ की परिभाषा - मनुष्य द्वारा निःस्वार्थ भाव से किया गया ऐसा कर्म जिससे किसी जीव को हानि ना हो , उसके दिल तथा दिमाग को ठेस ना पहुंचे तो इसे पुरुषार्थ कहते हैं।
मंगलवार, 12 सितंबर 2017
एकाग्रता कैसे बढ़ाएं
दोस्तों बहुत प्रयत्न करने के बावजूद भी अगर आपका मन एकाग्र नहीं हो रहा है तो इस लेख को जरूर पढ़े। मुझे पूरा विश्वास है की इसको पढ़ने के बाद आप अपने मन को एकाग्र कर सकेंगे।
सोमवार, 11 सितंबर 2017
भेद की परिभाषा
भेद की परिभाषा - किसी व्यक्ति को आपस में बैर कराकर या उसके गुप्त रहस्यों की खोलने की धमकी देकर जो कार्य करवाते हैं , इसे भेद कहते हैं।
रविवार, 10 सितंबर 2017
शुक्रवार, 8 सितंबर 2017
दाम की परिभाषा
दाम की परिभाषा - यदि किसी कार्य को करवाने के लिए जो मूल्य चुकाते हैं , इसे दाम कहते हैं।
साम की परिभाषा
साम की परिभाषा - यदि किसी व्यक्ति से किसी कार्य को निवेदन या विनती करके करवाते हैं तो इसे साम कहते हैं।
गुरुवार, 7 सितंबर 2017
ईर्ष्या की परिभाषा
ईर्ष्या की परिभाषा - जब कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के व्यवहार या कार्य को देखकर जलता है या घृणा करता है , इसे ईर्ष्या कहते हैं।
दया की परिभाषा
दया की परिभाषा - दूसरों का दुःख , दर्द या परेशानी देखकर जब हमारी भावना में कोमलता आ जाती है , इसे ही दया कहते हैं।
बुधवार, 6 सितंबर 2017
बुद्धि की परिभाषा
बुद्धि की परिभाषा - किसी समस्या को कम समय में और सरल ढंग से सुलझाने की चालाकी को बुद्धि कहते हैं।
लक्ष्य को प्राप्त कैसे करें
दोस्तों अगर आपके दिमाग में भी यह प्रश्न चल रहा है की लक्ष्य को पूरा कैसे करें तो इस पोस्ट को शुरू से अंत तक पढ़े। मुझे पूरा विश्वास है की इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपके सवाल का जवाब जरूर मिल जाएगा।
मंगलवार, 5 सितंबर 2017
ऊर्जा की परिभाषा
ऊर्जा की परिभाषा - व्यक्ति के अंदर कार्य करने की या लक्ष्य को पूरा करने की जो क्षमता या शक्ति होती है उसे ऊर्जा कहते हैं।
ज्ञान की परिभाषा
ज्ञान की परिभाषा - किसी विषय के बारे में जानकारी या किसी कार्य को करने की तरीका की जानकारी को ही ज्ञान कहते हैं।
सोमवार, 4 सितंबर 2017
तर्क की परिभाषा
तर्क की परिभाषा - जब व्यक्ति किसी मुद्दा को सुलझाने के लिए आपस में विचार विमर्श करते हैं , उसे ही तर्क कहते हैं।
रविवार, 3 सितंबर 2017
जिम्मेदारी की परिभाषा
जिम्मेदारी की परिभाषा - व्यक्ति का महत्वपूर्ण कार्य उसका जिम्मेदारी कहलाती है।
डर की परिभाषा
डर की परिभाषा - जब व्यक्ति समस्या को देखकर या समस्या आने की सम्भावना से घबरा जाता है , इसे ही डर कहते हैं।
शनिवार, 2 सितंबर 2017
क्रोध की परिभाषा
क्रोध की परिभाषा - अपनी इच्छाओं के फलस्वरूप कोई कार्य ना होने पर जो तीव्र भाव उत्पन होते हैं उसे क्रोध कहते हैं।