दुनिया में हर व्यक्ति के अन्दर स्वार्थ भरा है , चाहे वह पिता हो या पुत्र , भाई हो या बहन , पति हो या पत्नी , चाचा हो या चाची। कोई भी ऐसा रिश्ता नहीं है जिसमे स्वार्थ न छुपा हो। लोग कहते हैं की सिर्फ माँ ही ऐसी होती है जो अपने बच्चों से निःस्वार्थ प्रेम करती है। लेकिन क्या ये बात पूरी तरह से सच है । बचपन में माँ ने सभी बच्चों को एक नजरों से देखा , परंतु बड़े हो जाने पर क्यों उन बच्चों पर ध्यान नहीं देती जो गरीब है , वो ज्यादा ध्यान अमीर बच्चों पर ही क्यों देती है ।
एक काल्पनिक कहानी के माध्यम से आपको पूरा समझ आ जायेगा कि कर्म कितना जरूरी है । बरसात का समय आने वाला था , सभी चींटियां थोड़े - थोड़े करके अपने भोजन की व्यवस्था कर रहीं थी । जब टिड्डे ने चींटियों को देखा तो बोला आप लोग इतना मेहनत क्यों कर रहे हैं , मौसम इतना सुहाना है , आओ मौसम का मजा लेते हैं । लेकिन चींटियों ने टिड्डा की एक भी न सुनी और अपने कार्य को शुरू रखी । इस समय टिड्डा बहुत मौज कर रहा था । जब बरसात का मौसम आया तब चींटियां अपने घर में बैठकर बरसात का मजा ले रही थी और टिड्डा के पास तो कुछ खाने के लिए था ही नहीं अब वो क्या करे , कहाँ से भोजन का प्रबंध करे क्योंकि बारिश बहुत तेज हो रही थी ।
तो दोस्तों हमेशा कर्म करते रहो ताकि कभी विपरित स्थिति भी आए तो सम्भल सको क्योंकि कर्म ही पूजा है ।
धन्यवाद.......
Very nice post.......
जवाब देंहटाएंलेकिन एक माँ अपने ही बच्चो को आमिर या गरीब के रूप में कैसे देख सकती है
Because जब माँ की स्थिष्टि आमिर हो गरीब तो बच्चे भी आमिर या गरीब होंगे