दोस्तों जब तक हमारे अंदर आलस्य है तब तक हम कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर सकते। अगर आपको जिंदगी में सफल होना है तो सबसे पहले आपको अपना आलस्य त्यागना होगा। आलस्य को दूर कैसे करे , इस सवाल का जवाब इस लेख को पढ़ने के बाद जरूर मिल जायेगा।
आलस्य को दूर करने का तरीका -
जब तक कष्ट नहीं होगा तब तक हमें सच्चा सुख का अनुभव नहीं होगा - दोस्तों मेहनत करने से ज्यादातर लोग इसलिए कतराते हैं कि उनके शरीर या दिमाग को कष्ट होगा। उदहारण के लिए ये बात हम सब जानते हैं कि सुबह सूर्य उगने से पहले ही हमें जाग जाना चाहिए , जागकर टहलना चाहिए , व्यायाम करना चाहिए आदि नहीं तो हमारे शरीर और दिमाग को नुकसान होगा लेकिन फिर भी हम ऐसा नहीं कर पाते क्योंकि इस समय हम अपने शरीर को कष्ट नहीं देना चाहते हैं। दोस्तों अगर आप चाहते हैं की आलस्य आपके पास ना आये तो आप इस बात को कंठस्थ कर लें की जब तक हमारे शरीर व दिमाग को कष्ट नहीं होगा तब तक हमें कभी भी सच्चा सुख का अनुभव नहीं हो सकता है।
अपनी भावनाओं को काबू में रखकर बुद्धि से काम लें - हमारी भावनाएं इतनी प्रबल होती है कि इस पर काबू पाना बहुत मुश्किल होती है लेकिन असंभव भी नहीं होती है। यह परिस्थिति के हिसाब से बदलती रहती है। अपनी भावनाओं को काबू में रखने का एकमात्र उपाय बुद्धि है। मान लीजिये आज हमने किसी बात से प्रेरित होकर बिना सोचे समझे कोई कार्य प्रारम्भ कर दिया और दो दिन , दस दिन या एक महीने तक उस कार्य को किया तो हमारे अंदर आलस्य आने लगती है , काम में मन नहीं लगता है। क्यों कार्य में मन नहीं लगता या आलस्य आने लगती है ? हमें आलस्य इसलिए आती क्योंकि हमने वह कार्य अपनी भावनाओं के वश में होकर प्रारम्भ किया था। इसलिए दोस्तों अगर आप आलस्य से मुक्ति पाना चाहते हैं तो कोई भी कार्य अपने बुद्धि के द्वारा सोच समझ कर करें।
कार्य से क्या फायदा होगा और न करने से क्या नुकसान होगा के बारें में विचार करें - कोई भी व्यक्ति किसी कार्य को तभी प्रारम्भ करता है जब उस कार्य को करने से उसे फायदा हो। इसलिए जब भी आपके अंदर आलस्य आये तो आप यह सोचें की इस कार्य को करने के बाद मुझे ये फायदा होगा , अगर मैं इस कार्य को नहीं करूँगा तो या नुकसान होगा। यह सोचने से आपके अंदर आलस्य नहीं आएगा।
दोस्तों इसके अलावा भी बहुत सारे उपाय हैं जिसके द्वारा आलस्य को दूर किया जा सकता है। जैसे अपने स्वास्थ्य को अच्छा रखें , पौष्टिक भोजन करें , भरपूर नींद लें , कोई भी कार्य उत्साहित और एकचित्त होकर करें , अपने कार्य की योजना बनाएं आदि।
दोस्तों कैसा लगा आलस्य को दूर करने का यह लेख अपने comment के माध्यम से जरूर बताएं।
धन्यवाद.......
आलस्य को दूर करने का तरीका -
जब तक कष्ट नहीं होगा तब तक हमें सच्चा सुख का अनुभव नहीं होगा - दोस्तों मेहनत करने से ज्यादातर लोग इसलिए कतराते हैं कि उनके शरीर या दिमाग को कष्ट होगा। उदहारण के लिए ये बात हम सब जानते हैं कि सुबह सूर्य उगने से पहले ही हमें जाग जाना चाहिए , जागकर टहलना चाहिए , व्यायाम करना चाहिए आदि नहीं तो हमारे शरीर और दिमाग को नुकसान होगा लेकिन फिर भी हम ऐसा नहीं कर पाते क्योंकि इस समय हम अपने शरीर को कष्ट नहीं देना चाहते हैं। दोस्तों अगर आप चाहते हैं की आलस्य आपके पास ना आये तो आप इस बात को कंठस्थ कर लें की जब तक हमारे शरीर व दिमाग को कष्ट नहीं होगा तब तक हमें कभी भी सच्चा सुख का अनुभव नहीं हो सकता है।
अपनी भावनाओं को काबू में रखकर बुद्धि से काम लें - हमारी भावनाएं इतनी प्रबल होती है कि इस पर काबू पाना बहुत मुश्किल होती है लेकिन असंभव भी नहीं होती है। यह परिस्थिति के हिसाब से बदलती रहती है। अपनी भावनाओं को काबू में रखने का एकमात्र उपाय बुद्धि है। मान लीजिये आज हमने किसी बात से प्रेरित होकर बिना सोचे समझे कोई कार्य प्रारम्भ कर दिया और दो दिन , दस दिन या एक महीने तक उस कार्य को किया तो हमारे अंदर आलस्य आने लगती है , काम में मन नहीं लगता है। क्यों कार्य में मन नहीं लगता या आलस्य आने लगती है ? हमें आलस्य इसलिए आती क्योंकि हमने वह कार्य अपनी भावनाओं के वश में होकर प्रारम्भ किया था। इसलिए दोस्तों अगर आप आलस्य से मुक्ति पाना चाहते हैं तो कोई भी कार्य अपने बुद्धि के द्वारा सोच समझ कर करें।
कार्य से क्या फायदा होगा और न करने से क्या नुकसान होगा के बारें में विचार करें - कोई भी व्यक्ति किसी कार्य को तभी प्रारम्भ करता है जब उस कार्य को करने से उसे फायदा हो। इसलिए जब भी आपके अंदर आलस्य आये तो आप यह सोचें की इस कार्य को करने के बाद मुझे ये फायदा होगा , अगर मैं इस कार्य को नहीं करूँगा तो या नुकसान होगा। यह सोचने से आपके अंदर आलस्य नहीं आएगा।
दोस्तों इसके अलावा भी बहुत सारे उपाय हैं जिसके द्वारा आलस्य को दूर किया जा सकता है। जैसे अपने स्वास्थ्य को अच्छा रखें , पौष्टिक भोजन करें , भरपूर नींद लें , कोई भी कार्य उत्साहित और एकचित्त होकर करें , अपने कार्य की योजना बनाएं आदि।
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