सोमवार, 4 दिसंबर 2017

अपने संकल्प को पूरा कैसे करें। HOW TO EXECUTE OUR VOLITION IN HINDI .

जब आप किसी कार्य को पूरा करने का संकल्प लेते हैं तब समझिए कि उसी समय आप सफलता के राह पर निकल चुके हैं। संकल्प को पूरा करने में शरीर और मन की अहम भूमिका होती है। आपको मन तथा शरीर को हमेशा तंदरुस्त रखना पड़ेगा। शरीर को तो हम थोड़ा मेहनत करके तंदरुस्त बना लेते हैं लेकिन मन को कैसे तंदरुस्त रखें ? इसे कैसे समझा कर रखें ? ये तो एक जगह शांति से रहता ही नहीं है।  दोस्तों मैं अपने इस पोस्ट में यही बताऊंगा की संकल्प पूरा करने के लिए किस प्रकार से शरीर और मन को व्यवस्थित करें।
 संकल्प पूरा करने के निम्नलिखित उपाय है।
अपने मन को संकल्प पूरा करने का आदेश दें - दोस्तों कहा गया है कि खाली घर शैतान का घर होता है। यही बात मन पर भी लागू होता है। जब मन को यह बात मालूम नहीं रहता है कि उसे क्या करना है तो वह परिस्थिति के हिसाब से जो उसे अच्छा लगता है , वही करता है। जैसे आप बाजार जा रहे हैं , रास्ते में देखा की दो टीमें क्रिकेट खेल रही हैं। आप वहां कुछ समय के लिए रुके और क्रिकेट देखने लगे। वहां बहुत भीड़ जमा है। जब खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं तब  जनता उत्साहित होकर तालियां बजा रहे हैं। आपका मन भी खिलाडियों का प्रदर्शन देखकर के बहुत उत्साहित हुआ। इस समय आपका मन सोचेगा की मैं भी अच्छा क्रिकेटर बनूँगा। इसलिए हमेशा अपने मन को यह आदेश दें कि उसे क्या करना है।
जिस तरह से आप अपने बच्चों का ध्यान रखते हैं उसी तरह मन का भी ध्यान रखें - मनुष्य का मन बच्चों जैसा ही रहता हैं। अगर आप अपने बच्चे को कहते हैं की वह पढाई करे और वह बच्चा आपके कहने से पढाई करने लगता है। कुछ समय के लिए आप बाहर घूमने जाते हैं। जब बच्चा देखता है कि आप वहां नहीं हैं तो वह खेलने चला जाता है और जब आपको आते देखता है तो पुनः पढ़ने बैठ जाता है। ठीक ऐसे ही मन भी करता है। जब आप मन को कहते हैं कि संकल्प को कैसे पूरा करें , इसका उपाय बताओ ? जब तक आपका ध्यान अपने मन की तरफ रहेगा तब तक यह इसका उपाय खोजता रहेगा लेकिन थोड़ा सा भी आपका ध्यान मन की तरफ से हटेगा तो यह दूसरे टॉपिक पर चला जाएगा। मन के सन्दर्भ में एक बात अच्छा है की यह हमेशा आप के साथ ही रहता है जबकि आप बच्चों के साथ हमेशा नहीं रह सकते। इसलिए अपने मन की तरफ हमेशा ध्यान रखें।
मन को यह समझाएं कि हर कार्य अपने इंटरेस्ट के हिसाब से नहीं होता - मन हमेशा उसी तरफ भागता है जिस तरफ उसे अच्छा लगता है। लगभग सभी कार्य जिसका चुनाव मन अपने उत्साह के आधार पर करता है , थोड़े समय के बाद वह मन को उबाऊ लगने लगते हैं। फिर मन उस कार्य को छोड़कर दूसरे कार्य को करना चाहता है। इसलिए मन को यह समझाएं की हर कार्य उत्साह के हिसाब से नहीं होता बल्कि उसे खुद इंटरेस्टिंग बनाना पड़ता है।
मन और शरीर को आराम करने का समय निर्धारित करें - अपने कार्य के हिसाब से मन और शरीर को थोड़ा आराम करने का भी मौका दें , इससे आपका शरीर और मन तरोताजा हो जाता है।
समस्याओं को याद करके दुखी या चिंतित न हों - हमारे समक्ष बहुत सारी ऐसी समस्याएं होती हैं जिनको याद करने पर हमें बहुत दुःख होता है और हमारी चिंता बढ़ जाती है। हम सभी जानते हैं कि दुःखी व चिंतित होने से किसी समस्या का निवारण नहीं होता बल्कि शांत और धैर्य बनाकर ही किसी समस्या को सुलझाया जा सकता है। इसलिए समस्याओं को याद करके दुःखी व चिंतित न हों बल्कि शांत रहें व धैर्य बनाकर रखें।
दोस्तों कैसा लगा यह पोस्ट अपने कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं। अगर इस पोस्ट से सम्बंधित कोई प्रश्न आपके मन में चल रहा है तो जरूर पूछें। अगर आप सलाह देना चाहते हैं तो जरूर दें , मुझे आपकी राय जानकर बहुत खुशी होगी।
                                                                                                   धन्यवाद.........

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें