मंगलवार, 19 दिसंबर 2017

सफल होना है तो ऐसा करें।

मानव का मष्तिष्क कुछ इस तरह है की प्रत्येक व्यक्ति एक ही तरीके अपनाकर सफल नहीं हो सकते। हर व्यक्ति अपनी स्थिति के हिसाब से ऐसे तरीकों को अपनाना चाहता है जो उसके लिए आसान और उचित हो। ज्यादातर व्यक्ति किसी बात को सैद्धांतिक नहीं समझ पाते जबकि उन्हें वही बात व्यावहारिक समझाया जाए तो वह उसे तुरंत समझ जाते हैं। दुनिया में सफल होने के लिए बहुत से उपाय है। मैं इस लेख में सफल होने का ऐसा उपाय बताऊंगा जिसको अपनाने से आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।
महेश नाम का एक लड़का था। वह पढ़ने में बहुत कमजोर था। हर बच्चे उसे हमेशा चिढ़ाया करते थे और कहते थे , " वो देखो क्लास का सबसे बुद्धिमान लड़का आ गया। " ऐसा कहकर जोर - जोर से हँसते थे। उन बच्चों की बात सुनकर उसे बहुत दुःख होता था। महेश हमेशा सोचा करता था की काश ऐसा कोई उपाय मिल जाता जिसको अपना कर वह क्लास का सबसे होनहार छात्र बन जाये लेकिन उसे कोई उपाय ही नहीं सूझता था। 
एक दिन उसके मन में एक विचार आया कि क्यों न मैं इसका उपाय अपने सर से पूंछूं लेकिन उसको इस बात को लेकर डर लग रहा था कि अगर मैं सर से पूछूंगा की सर मुझे ऐसा उपाय बताइये जिसको अपनाकर मैं पढ़ने में तेज हो जाऊं तो सर की प्रतिक्रिया क्या होगी , वो क्या सोचेंगे , कहीं पूरी क्लास के सामने मेरा मजाक न बना दें। यह सब सोचकर वह और भी परेशान हो गया। उसकी आत्मा उसे अंदर ही अंदर कह रही थी कि अगर तू इसी तरह चुपचाप बैठा रहा तो एक दिन ऐसा आएगा कि तू कहीं का नहीं रह जायेगा , तेरी जिंदगी नरक बन जाएगी , समाज में तेरी इज्जत नहीं होगी और तो और जिंदगी भर लोग तेरी मजाक उड़ाएंगे। 
यह सब सोचकर महेश ने निर्णय लिया कि मैं सर से सबके सामने नहीं बल्कि लंच के समय में पूछूंगा। क्या होगा बहुत करेंगे तो सर मुझे डांटेंगे , मेरा मजाक उड़ाएंगे या बहुत करेंगे तो दो तमाचा मार देंगे लेकिन अगर कोई ऐसा उपाय बता देंगे जिससे मैं पढ़ने में तेज हो जाऊंगा तो मेरी जिंदगी बन जाएगी। 
जब लंच का समय हुआ तो महेश नाश्ता करने के कुछ समय बाद डरते - डरते सर के पास गया। सर कुर्सी पर बैठकर आराम कर रहे थे। महेश ने सर से कहा , "गुड आफ्टरनून सर"। "गुड आफ्टरनून महेश ! क्या बात है ? महेश ने सर से कहा सर मुझे कोई ऐसा उपाय बताइये जिसको अपनाकर मैं क्लास का सबसे होनहार छात्र बन जाऊं। सर ने सोचा की अगर मैं इसे सैद्धांतिक उपाय बताऊंगा तो यह कुछ दिन तो अपनाएगा लेकिन थोड़े समय के बाद इसे भूल जायेगा , क्यों न इसे व्यावहारिक तरीके से समझाया जाये। सर ने कहा ठीक है मैं तुमको इसका उपाय बता दूंगा लेकिन इसके लिए तुम्हे रविवार को मेरे घर आना पड़ेगा। महेश ने कहा ठीक है सर , मैं रविवार को आपके घर आ जाऊंगा। सर की बात को सुनकर महेश को बहुत खुशी हुई।
रविवार के दिन महेश नहा - धोकर , भोजन करके सर के पास गया। सर कुर्सी पर बैठकर अखबार पढ़ रहे थे। महेश ने कहा ,"गुड मॉर्निंग सर !।सर ने  कहा , "गुड मॉर्निंग महेश ! कैसे हो ? "  महेश ने कहा मैं अच्छा हूँ , आप कैसे हैं ? सर ने कहा मैं भी अच्छा हूँ। सर ने महेश को चाय - नास्ता करवाया और कहा महेश जाओ बेड पर लेटकर थोड़ा आराम कर लो। महेश ने कहा सर उपाय कब बताएंगे। सर ने कहा तुम चिंता मत करो , तुम्हारे सवाल का जवाब मिल जायेगा , मैं जितना कहता हूँ उतना करो , जाओ थोड़ा आराम कर लो। महेश ने कहा ठीक है सर , मैं थोड़ा आराम कर लेता हूँ। 
जब महेश आराम कर रहा था तभी सर अपने हाथों में तकिया लेकर महेश के पास गए। महेश ने कहा ये क्या है सर ! सर ने कहा अभी बताता हूँ और उस तकिये को महेश के मुँह पर रखकर जोर से दबाने लगे। महेश उस तकिये को हटाने के लिए जी जान से जोर लगाने लगा लेकिन हटा नहीं पा रहा था , वो बार - बार पूरी ताकत के साथ प्रयत्न कर रहा था। इधर सर भी अपनी पूरी जोर लगाकर तकिये को पकड़े हुए थे। सर महेश से अधिक ताकतवर थे इसलिए महेश तकिये को नहीं हटा पा रहा था लेकिन वह प्रयत्न लगातार कर रहा था। सर ने थोड़े समय के बाद जानबूझकर अपने बल को थोड़ा कम किए लेकिन महेश लगातार पूरी बल लगाकर प्रयत्न करने के कारण तकिये को हटा दिया और हाँफते हुए कहा ये क्या कर रहे हैं सर। सर ने कहा यही तुम्हारे सवाल का जवाब है। 
महेश ने कहा मैं कुछ समझा नहीं सर। तब सर ने समझाते हुए कहा जिस तरह से तुम अपनी जान बचाने के लिए प्रयत्न कर रहे थे ठीक उसी तरह तुम्हे क्लास में सबसे होनहार बनने के लिए पूरी ताकत के साथ निरंतर प्रयत्न करना पड़ेगा। महेश सब कुछ समझ गया और उसी दिन से सर के बताए उपाय अपनाकर क्लास का सबसे होनहार छात्र बन गया। 
दोस्तों सफलता का सबसे बड़ा राज पूरी ताकत व ऊर्जा के साथ निरंतर प्रयत्न करना ही है। आपको कैसा लगा ये लेख अपने कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं।
                                                                                                                 धन्यवाद.........

1 टिप्पणी: