जिंदगी जीने का तरीका : जो व्यक्ति दूसरों की खुशी के लिए जिए वही जिंदगी सार्थक जिंदगी कहलाती है। अपने शरीर और दिमाग को जितनी आवश्यकता हो उतना ही आराम दें। आवश्यकता से ज्यादा शरीर और दिमाग को आराम देने से ये आलसी हो जाते हैं जिससे समय की बर्बादी होती है। जब समय एक बार चला जाता है तो वह लौटकर नहीं आता।
दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं , पहला जो हमेशा इस बात को लेकर उलझन में रहते हैं कि किस कार्य को करूँ - किसे नहीं , क्या सोचूँ - क्या नहीं , किससे दोस्ती करूँ - किससे नहीं आदि। दूसरे तरह के लोग बेफिक्र रहते हैं क्योंकि उनको यह पता रहता है कि क्या करना है - क्या नहीं , क्या सोचना है - क्या नहीं , किससे दोस्ती करनी है - किससे नहीं , कौन चीज उपयोगी है और कौन खराब आदि।
दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं , पहला जो हमेशा इस बात को लेकर उलझन में रहते हैं कि किस कार्य को करूँ - किसे नहीं , क्या सोचूँ - क्या नहीं , किससे दोस्ती करूँ - किससे नहीं आदि। दूसरे तरह के लोग बेफिक्र रहते हैं क्योंकि उनको यह पता रहता है कि क्या करना है - क्या नहीं , क्या सोचना है - क्या नहीं , किससे दोस्ती करनी है - किससे नहीं , कौन चीज उपयोगी है और कौन खराब आदि।
दूसरे तरह के लोग जो बेफिक्र रहते हैं उनकी जिंदगी शांत और उत्साह से गुजरती है जबकि पहले तरह के लोग जो हमेशा उलझन में रहते हैं उनकी जिंदगी अशांत तथा निराशा से गुजरती है। कहा गया है कि व्यक्ति यदि पूरा मन लगाकर कड़ी मेहनत करे तो दुनिया का ऐसा कोई भी समस्या नहीं जिसे सुलझाया न जा सके। वहीं लोग उलझन में रहते हैं जो मेहनत करने से कतराते हैं।
इसलिए जब भी काम करने में मन ना लगे तो इस बात को एक बार जरूर सोच लें कि आपके आराम करने से कितने लोगों की जिंदगी मुसीबत में पड़ सकती है। मुसीबत पड़ने पर किसी के सामने गिड़गिड़ाना न पड़े इसलिए पूरा मन लगाकर कड़ी मेहनत करें।
धन्यवाद.........
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