क्षत्रपति शिवाजी एक महान योद्धा और कुशल रणनीतिकार थे। इन्होंने अपनी वीरता से कई बार मुगलों को पराजित किया था। इस लेख में क्षत्रपति शिवाजी के 11 विचार बताएं गए हैं।
1. अपने आत्मबल को जगाने वाला , स्वयं को पहचानने वाला और मानव जाति के कल्याण की सोच रखने वाला , पुरी दुनिया पर राज्य कर सकता है।
2. अगर हौसला बुलंद हो तो पर्वत को भी मिट्टी मेंं बदला जा सकता है .
3. स्वतंत्रता एक वरदान है जिसको पाने का अधिकारी हर कोई है।
4. शत्रु कभी भी कमजोर न समझे और न ही अधिक बलवान समझ कर डरें।
5. इस जीवन में अच्छे दिन कि आशा नहींं रखनी चाहिए क्योंकि दिन और रात की तरह अच्छे दिनोंं को भी बदलना पड़ता है।
6. अपना सिर कभी भी न झुकाएं , इसे हमेशा ऊंचा रखें।
7. जरुरी नहीं की स्वयं की गलती से सीखा जाए , हम दूसरों की गलती से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं।
8. जो व्यक्ति केवल देश और सत्य के सामने झुकता है , उसका सम्मान पूरी दुनिया करती है।
9. कोई भी कार्य करने से पहले हमें उसका परिणाम सोच लेना चाहिए क्योंकि आने वाली पीढ़ी इसी का अनुसरण करती है।
10. एक सफल मनुष्य अपने कर्तव्य की पराकाष्ठा के लिए , समस्त मानव जाति की चुनौती स्वीकार कर लेता है।
11. प्रतिशोध मनुष्य को जलाती है और संंयम के द्वारा ही प्रतिशोध को काबू में किया जा सकता है।
ये लेख आपको कैसा लगा , अपने कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं।
धन्यवाद.......
1. अपने आत्मबल को जगाने वाला , स्वयं को पहचानने वाला और मानव जाति के कल्याण की सोच रखने वाला , पुरी दुनिया पर राज्य कर सकता है।
2. अगर हौसला बुलंद हो तो पर्वत को भी मिट्टी मेंं बदला जा सकता है .
3. स्वतंत्रता एक वरदान है जिसको पाने का अधिकारी हर कोई है।
4. शत्रु कभी भी कमजोर न समझे और न ही अधिक बलवान समझ कर डरें।
5. इस जीवन में अच्छे दिन कि आशा नहींं रखनी चाहिए क्योंकि दिन और रात की तरह अच्छे दिनोंं को भी बदलना पड़ता है।
6. अपना सिर कभी भी न झुकाएं , इसे हमेशा ऊंचा रखें।
7. जरुरी नहीं की स्वयं की गलती से सीखा जाए , हम दूसरों की गलती से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं।
8. जो व्यक्ति केवल देश और सत्य के सामने झुकता है , उसका सम्मान पूरी दुनिया करती है।
9. कोई भी कार्य करने से पहले हमें उसका परिणाम सोच लेना चाहिए क्योंकि आने वाली पीढ़ी इसी का अनुसरण करती है।
10. एक सफल मनुष्य अपने कर्तव्य की पराकाष्ठा के लिए , समस्त मानव जाति की चुनौती स्वीकार कर लेता है।
11. प्रतिशोध मनुष्य को जलाती है और संंयम के द्वारा ही प्रतिशोध को काबू में किया जा सकता है।
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